परछाइयाँ
शहर के शांत से , सुनसान से , गलियारों में ,
परछाइयाँ भी नहीं चलतीं , घने से अँधियारों में ॥
कुछ कदम बिना आहट ,धीमे - धीमे डोलते ,
ढूँढते परछाइयों को , मिलने पे उनको तोलते ,
है कदम हल्का या , हल्की हैं परछाइयाँ ॥
शब्द कोई मिल गया गर , तैरता सा रात में ,
कदम छिप गए फिर तो , परछाईं की आड़ में ,
शब्द बना कदमों की आहट , हँस पड़ीं परछाइयाँ ॥
शहर के शांत से , सुनसान से , गलियारों में ,
परछाइयाँ भी नहीं चलतीं , घने से अँधियारों में ॥
कुछ कदम बिना आहट ,धीमे - धीमे डोलते ,
ढूँढते परछाइयों को , मिलने पे उनको तोलते ,
है कदम हल्का या , हल्की हैं परछाइयाँ ॥
शब्द कोई मिल गया गर , तैरता सा रात में ,
कदम छिप गए फिर तो , परछाईं की आड़ में ,
शब्द बना कदमों की आहट , हँस पड़ीं परछाइयाँ ॥
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