रेडियो
शैशव से ही सुना रेडियो,कुछ महीने की उम्र हमारी,
तभी से हमने सुना रेडियो ,मीठे गाने ,मीठी तान ,
उन्हीं से हमने सुना रेडियो |
बचपन बीता तो गाने ,और भी मीठे लगे ,
साथ में रेडियो लगा ,अपना दोस्त,अपना सखा |
पहचान बढ़ी कार्यक्रमों से ,हवामहल हमें भाया ,
फौजी भाइयों के लिए,पेश किया जयमाला भाया |
फिर आए अमीन सयानी जी,बिनाका गीत माला लेकर ,
भूल गए हम अन्य कार्यक्रम ,गीत माला में खो गए |
जब 1969 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग ,ने चाँद पर रखा कदम ,
अमीन सयानी जी ने ,गीत माला के जरिए ,
हमें भी उतारा चाँद पर ,दिखाए नज़ारे चाँद के ,
दिल बाग - बाग हो गया ,गीतों में खो गया |
आज भी वही रेडियो ,अन्नू कपूर जी,
का कार्यक्रम सुनवाता है ,हमको लुभाता है |
कोरोना की मारी इस धरती पर ,
आज रंगोली सजाई है दूरदर्शन पर ,
रेडियो ने ही हमारा पसंदीदा कार्यक्रम ,
जीवित रखा है विविध भारती ने |