Wednesday, April 27, 2022

PAAI ( KSHANIKA )

 

                          पाई 

 

सोच तेरी मेरी ,आपस में जो टकराई ,

तू भी मुस्काया ,मैं भी मुस्काई | 

 

रंग मुस्कानों का ,सबने जो हम पर डाला ,

दोनों की ही देखो,हो गई रंगाई | 

 

जिंदगी की राहों में ,हम साथ में चले ,

दोनों ने ही देखो ,अपनी मंज़िल पाई | 

 

दिन गए बीतते ,वर्ष बन गए ,

दिनों या वर्षों की ,गिनती नहीं हो पाई | 

 

कल जो बीत गया है ,सुंदर सा ही था ,

आगे आने वाले कल की ,छवि नहीं बन पाई | 

 

सोचों में डूबे हम तो ,आगे को बढ़ चले ,

सोचों में ही हमने ,दुनिया ये सारी पाई | 

 

Monday, April 25, 2022

FURSAT ( KSHANIKA )

        

                   फुर्सत 

 

एक लम्हे की फुर्सत चाहिए ,

जीने की हसरत चाहिए ,

कहाँ से ढूँढे हम फुर्सत को ? 

कोई रास्ता बता दे ,

उस मंज़िल का हमें पता दे | 

 

एक लम्हे की फुर्सत चाहिए ,

कहाँ से खरीदें हम फुर्सत को ? 

कोई बाजार का पता दे ,

उस दुकान का नंबर बता दे ,

कीमत भी उसकी बता दे | 

 

एक लम्हे की फुर्सत चाहिए ,

खुशहाल पल एक चाहिए ,

कोई तो इंसान ऐसा मिला दे ,

जो हमको फुर्सत दिला दे | 

 

हमारा तो , सब कुछ गिरवी पड़ा है ,

अनजाने से संसार में ,

जिम्मेदारियों के भंवर में ,

हम तो फंस गए हैं उसमें ,

कोई तो आए मुक्ति दिला दे | 

 

 

Sunday, April 24, 2022

AITIHAASIK PAL ( DESH )

 

             ऐतिहासिक पल 

 

नन्हीं कली तभी खिलती है ,

जब उसे सहलाया जाता है ,

प्यार ,दुलार दिया जाता है ,

मजबूत बनाया जाता है | 


नन्हीं बच्ची भी बनती है शक्तिशाली ,

जब उसे आगे बढ़ना सिखाया जाता है ,

जीवन के बारे में ,उसे समझाया जाता है ,

उस पर भरोसा कर ,

उसका पथ -प्रदर्शन किया जाता है | 


जब वह जीवन पथ पर ,

आगे बढ़ जाती है ,

शक्ति रूप हो जाती है ,

वह पल ही ऐतिहासिक पल हो जाता है | 


उसी पल का इंतज़ार सबको है ,

जब सभी बच्चियाँ शक्तिरूपा हो जाएँगी ,

छुई -मुई सी नहीं रहेंगी ,

अपने कर्तव्य और अधिकार ,

दोनों को पहचानेंगी ,दोनों को पहचानेंगी ,

वही तो होगा ,देश का ऐतिहासिक पल | 


Saturday, April 23, 2022

HAMANE ( KSHANIKA )

 

                 हमने 

 

शब्दों के खजाने से ,कुछ शब्द चुने हमने , 

शब्दों की खदान से ,कुछ शब्द चुने हमने | 


एक शब्द था प्यार ,जो परिवार में सोया था ,

सपनों में खोया था ,उसे नींद से जगाया हमने | 


एक शब्द था दोस्ती ,जो दोस्तों की महफ़िल में ,

ठहाकों में हँसता था ,सबके दिलों में बसता था ,

निकाला उसे बाहर दिलों से हमने | 


एक शब्द था ग़म ,नहीं था वो सुगम ,

आँखों में आँसू लाता था ,दिलों को तड़पाता था ,

तड़पन को गीतों से सजाकर ,उसे ख़ुशी बनाया हमने | 


एक शब्द मिला मरहम ,कहीं भी चोट लगी हो ,

गिरने से या शब्दों से ,मरहम शब्द की चटनी बनाकर ,

चोट पर लगाया हमने ,दर्द को दूर भगाया हमने ,

इस तरह शब्दों से ,जीवन को सजाया हमने | 



Wednesday, April 20, 2022

NAA BAND KARO ( JIVAN )

 

                    ना बंद करो 

 

दरवाजे ना बंद करो तुम ,

रिश्ते सभी बिखर जाएँगे ,

वो तो सभी टूट जाएँगे | 

 

रिश्ते ,जो खिलखिलाती प्रकृति से हैं ,

रिश्ते, जो बहती पवन से हैं ,

रिश्ते ,जो नदिया और सागर से हैं ,

रिश्ते ,जो धूप और रवि से हैं | 


जब मिलेंगे नहीं तो , रिश्ते पनपेंगे कैसे ? 

प्यार का जल और दुलार की खाद ना दोगे ,

तो रिश्ते फले - फूलेंगे कैसे ? 

इसीलिए दरवाजे ना बंद करो तुम | 

 

बाहर निकल कर प्रकृति के साथ ,

खिलखिलाओ तुम ,

बाहर निकल कर पवन के संग ,

बहते जाओ तुम ,

बाहर निकल कर नदिया और सागर से ,

छलछलाओ तुम ,

बाहर निकल कर धूप और रवि जैसे ,

संसार को जगमगाओ तुम | 


Monday, April 18, 2022

BAHATAA HAI RATNAAKAR ( RATNAAKAR )

 

                   बहता है रत्नाकर 

 

खिड़की के बाहर मेरी ,बहता है रत्नाकर ,

सुंदर सा मेरा दोस्त ,बहता है रत्नाकर | 

 

जीवन से भरा हुआ ,रत्नों से सजा हुआ ,

मुस्कानों से रचा हुआ ,बहता है रत्नाकर | 

 

लहरों के शोर में ,गगन की परछाईं में ,

अपनी ही गहराई में ,बहता है रत्नाकर | 

 

अपनी ही भाषा में ,आवाज दे बुलाता हुआ ,

प्रेम गीत सुनाता हुआ ,बहता है रत्नाकर | 

 

कहता है पास आओ ,मेरे संग तुम भी गाओ ,

संगीत है लहरों का ,कहता है रत्नाकर | 

 

Saturday, April 16, 2022

RASON KAA SAAGAR ( KSHANIKA )

 

           रसों का सागर 

 

जन्म के साथ ही मिली ममता ,

माँ ने प्यार बरसाया ,

उस ममता में डूब के हमने ,

जीवन रस को पाया | 

 

ममता में ही डूबे - डूबे ,

दुनिया का नयापन आया , 

आश्चर्य - चकित हो उसको हमने ,

अद्भुत रस में पाया | 


उस आश्चर्य - चकित चमकार में ,

कभी - कभी भय पाया ,

कुछ चीजों के नए रूप ने ,

हमको खूब डराया | 


भय में ,डर में डूबे - डूबे ,

क्रोध कभी उपजाया ,

जब भय को दूर ना कर पाए ,

तो रस रौद्र बन आया | 


मन में रहा क्रोध तो वह ,

शोक बन कर सामने आया ,

उसी शोक ने अंदर ही से ,

रस को अब करुण बनाया | 


करुणा जब बढ़ चली बहुत ही ,

घृणा भी उपजी उससे ,

क्यों हम बढ़ चले ऐसी राह पे ? 

जिसने घृणा को उपजाया | 


तभी अचानक उपजी हिम्मत ,

उत्साह सा हममें जागा ,

पहना वीरों का चोला हमने ,

वीरता के रस को और जगाया | 


वीर बने हम और हमारा ,

श्रृंगार बनी हमारी वीरता ,

ऐसे में ही मिली हमें ,

उपहार स्वरूप हमारी प्रेरणा | 


जिसने प्रेरित किया हमें ,

हर पथ पर वीरता से चलने को ,

और उसी श्रृंगार भरी ,

प्रेरणा ने प्रेरित कर हमें जगाया | 


आज सभी कुछ सोच के हम ,

हँस पड़ते हैं बंधु ,

सारे रसों के बाद आज ,

हास्य रस जीवन ने उपजाया | 


जीवन बना रसों का सागर ,

हर रस की लहरें बहती हैं ,

कोई थोड़ी छोटी है ,

तो किसी को बड़ा बनाया | 


Tuesday, April 12, 2022

GARJAN ( JALAD AA )

 

                             गर्जन  

 

कोसों दूर गगन में छाए ,कारे - कारे बदरा ,

रिमझिम - रिमझिम बरसेंगे ,तभी भीगेगा मेरा अँचरा | 

 

बदरा की रिमझिम से ,धरती हरी चुनर ओढ़ेगी ,

खुश होकर फिर धरा ,आशीष उसे दे देगी | 

 

बदरा भी फिर खुश होकर ,गगन में नाच दिखाए ,

संग दामिनी चमक -चमक कर ,साज बजाती जाए | 

 

बदरा की गर्जन से तो ,दिल की धड़कन बढ़ जाए ,

दामिनी की चमकार तो मुझ में ,हिम्मत बहुत बढ़ाए | 


रात की काली चादर में ,जग समस्त सो जाए ,

अंतरिक्ष में जगमग तारे ,बदरा में छिप जाएँ | 


लाखों तारों की चमक ,मेरे नयना चमकाए ,

मेरा चाँद तो मेरे पास है ,और मुझे क्या भाए ? 


बदरा की रिमझिम से तो ,अनवरत जल बरसा जाए ,

उससे प्रेरित मेरी लेखनी ,शब्द बरसाती जाए | 


शब्दों में दिल है छलकता ,भाव खूब दर्शाए ,

भावों भरी मेरी रचना ,दोस्ती खूब निभाए | 


बदरा की तो दोस्त दामिनी ,संगत खूब निभाए ,

मेरे  दोस्त तो आप सभी हैं ,जो हौसला  मेरा बढ़ाएँ | 


Monday, April 11, 2022

KYAA HOTA HAI ? (JIVAN )

  

                 क्या होता है ? 


किसी से नजरें चार करके जाना ,

दिल का खो जाना क्या होता है ? 

किसी के बोल सुनके ये जाना ,

कानों में रस घुल जाना क्या होता है ? 


प्यार का अहसास होने पर ही ये जाना ,

प्यार में पूरी तरह डूब जाना क्या होता है ? 

थोड़े समय की जुदाई से ही ये जाना ,

जुदाई का दर्द लंबे समय में कैसा होता है ? 


दिल की धड़कनें तेज हुईं तो ये जाना ,

दिल की धड़कनों का रुकना क्या होता है ?

साँसों की रफ़्तार से ही हमने ये जाना ,

साँसों की रफ़्तार का बढ़ना क्या होता है ? 


कल कब होगा ? कैसा होगा ? पता नहीं ,

कल होगा भी या नहीं ,पता नहीं ? 

यदि कल नहीं हुआ ,तो क्या होगा ? 

कल ना होने पर क्या होता है ? पता नहीं | 



Saturday, April 9, 2022

CHITRAKAARIYAN ( GEET )

 

                          चित्रकारियाँ 

 

मुस्कुराहटों के जंगल में ,खो गईं उदासियाँ ,

तुम्हारी आँखों के सागर में डूबने से ,खो गईं उबासियाँ | 

 

ठंडी पवन के झोंकों ने ,दूर कीं गर्माइयाँ ,

तुम्हारे मीठे बोलों ने ,छीन लीं तनहाइयाँ | 

 

कुछ थीं अनकहीं बातें दिल में ,बन गईं कहानियाँ ,

उन्हीं बातों की तो जानम ,हैं आज भी परछाइयाँ | 

 

जिंदगी मानो उड़ रही है ,छू के गगन की बदलियाँ ,

रंग जीवन में भर रहा मानो ,किसी ने कीं चित्रकारियाँ | 

 

जिंदगी में बुनी हुईं हैं ,कितनी ही अनदेखी बुनाइयाँ ,

मगर फिर भी वो तो हैं ,उम्मीदों में डूबी उम्मीदियाँ | 

 

प्यार सबका पाया है हमने ,ऐ हमारी सखियों ,

तभी तो आशाओं में डूबी हैं ,हमारी जिन्दगानियाँ | 

 

Thursday, April 7, 2022

SAHI ARTH ( GEET )

 

                 सही अर्थ 

 

रैना बीती जाए ,

अँधियारी हो या चंदनियारी ,

रैना तो बीती जाए ,

भोर का तारा आए ,

रात को विदा कर जाए ,रैना बीती जाए | 

 

 रात और दिन की तरह ,

जीवन भी तो नश्वर है ,

इसी तरह यह भी बीता जाए ,

एक - एक दिन ,ढलता जाए ,

नश्वर सब संसार है ,

यह संदेश देता जाए ,रैना बीती जाए | 


इसी तरह तो बातें और किस्से ,

सभी बीतते जाएँ ,

यादों में ही रह जाते ,

दुनिया से सब गुम हो जाते ,

और हम कहते रह जाते ,

बीती बातें बीत गईं हैं ,

क्यों याद करते जाएँ ? रैना बीती जाए | 


ये तो समय का पहिया है ,

ये तो चलता जाए ,

चलते - चलते ये जीवन का ,

सही अर्थ समझाए ,सही अर्थ समझाए ,

रैना बीती जाए ,सच में रैना बीती जाए | 


Wednesday, April 6, 2022

SHRINGAAR ( JIVAN )

                    श्रृंगार 

 

श्रृंगार है एक शब्द मगर ,

छिपा है उसमें एक फ़साना ,

श्रृंगार जो कर ले ,

वो तो बन जाए एक अफसाना | 


माता रानी ,देवी माँ का ,

हर दिन का अलग है श्रृंगार ,

सुंदर हर दिन ,प्यारी हर दिन ,

चम -चम करता उनका श्रृंगार | 


लड़की जब दुल्हन बनती ,

करती है वो सोलह श्रृंगार ,

नया रूप सज जाता है ,

 जब होता है सोलह श्रृंगार | 


बिंदिया ,टीका ,काजल ,नथनी ,

हारों और गजरों से सजाया जाता है ,

मेहँदी ,चूड़ा ,हथफूल ,करधनी ,

साड़ी और शाल पहनाया जाता है ,

पायल ,बिछिया ,महावर ,कंगन ,चूनर ,

लाली और सिंदूर सजाया जाता है | 


चमक उठती है ,दमक उठती है ,

माता रानी और दुल्हन ,

जब करती हैं पूरा श्रृंगार ,

मगर आज कल कहते हैं "मेक -अप " दोस्तों ,

बोल के देखो दोनों शब्द ,

क्या सुंदर है ? क्या मीठा है ? 

मेक - अप  या  श्रृंगार ? 


Tuesday, April 5, 2022

" DAA" OR " DEE" ( KSHANIKA )

 

         "दा" और "दी" 

 

दादी मुझे बना दे राम ,

दे बेटे को एक खिलौना ,

जीवन से भरपूर खिलौना ,

खुशियाँ मुझको दे दे राम | 

 

जीवन बीत चला है अब तो ,

थोड़ा समय बचा है अब तो ,

रीत ना जाए यूँ ही जीवन ,

कुछ प्यार बरसा दे राम | 


दादा ,दादी बिगाड़ें बच्चों को ,

यही कहावत है देश में ,

मैं भी बिगाड़ूँ पोता ,पोती ,

इसलिए दादी मुझे बना दे राम | 

 

"दा " और "दी " दो पंख लगा दे ,

थोड़ा उड़ना मुझे सिखा दे ,

जीवन मेरा हो भरपूर ,

फिर उड़ पहुँचू तेरे धाम ,

दादी मुझे बना  दे राम  |  

 

Sunday, April 3, 2022

AHSAAS ( PREM )

 

                 अहसास

 

एक समय था ,जब हम मिले थे पहली बार ,

सामने आते ही ,हुईं थीं नजरें चार | 

 

ना जाने क्या अहसास था ? 

नहीं कोई और पास था ,

दिल भी जैसे धड़क कर ,गुम हुआ ,

लगा चला गया है वो ,सीने के पार | 

 

तुम्हारा हुआ जैसे ही ,

मुझको तो भूल गया है वो ,

क्योंकि अब नहीं होता है मुझको ,

मेरी धड़कन का अहसास यार | 

 

किस्से प्यार के बहुत सुन रखे थे ,

प्यार करने वालों को भी देखा था ,

मगर इस अहसास का क्या नाम है ? 

क्या इसी अहसास को कहते हैं प्यार ? 

 

उस एक लम्हे को, कहो कि रुक जाए ,

उसका अहसास भी तो थम जाए ,

चलें ना पल कभी आगे को ,एक कदम भी ,

बन जाए वो लम्हा ,एक यादगार ,एक यादगार |