अहसास
एक समय था ,जब हम मिले थे पहली बार ,
सामने आते ही ,हुईं थीं नजरें चार |
ना जाने क्या अहसास था ?
नहीं कोई और पास था ,
दिल भी जैसे धड़क कर ,गुम हुआ ,
लगा चला गया है वो ,सीने के पार |
तुम्हारा हुआ जैसे ही ,
मुझको तो भूल गया है वो ,
क्योंकि अब नहीं होता है मुझको ,
मेरी धड़कन का अहसास यार |
किस्से प्यार के बहुत सुन रखे थे ,
प्यार करने वालों को भी देखा था ,
मगर इस अहसास का क्या नाम है ?
क्या इसी अहसास को कहते हैं प्यार ?
उस एक लम्हे को, कहो कि रुक जाए ,
उसका अहसास भी तो थम जाए ,
चलें ना पल कभी आगे को ,एक कदम भी ,
बन जाए वो लम्हा ,एक यादगार ,एक यादगार |
No comments:
Post a Comment