Wednesday, April 27, 2022

PAAI ( KSHANIKA )

 

                          पाई 

 

सोच तेरी मेरी ,आपस में जो टकराई ,

तू भी मुस्काया ,मैं भी मुस्काई | 

 

रंग मुस्कानों का ,सबने जो हम पर डाला ,

दोनों की ही देखो,हो गई रंगाई | 

 

जिंदगी की राहों में ,हम साथ में चले ,

दोनों ने ही देखो ,अपनी मंज़िल पाई | 

 

दिन गए बीतते ,वर्ष बन गए ,

दिनों या वर्षों की ,गिनती नहीं हो पाई | 

 

कल जो बीत गया है ,सुंदर सा ही था ,

आगे आने वाले कल की ,छवि नहीं बन पाई | 

 

सोचों में डूबे हम तो ,आगे को बढ़ चले ,

सोचों में ही हमने ,दुनिया ये सारी पाई | 

 

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