पाई
सोच तेरी मेरी ,आपस में जो टकराई ,
तू भी मुस्काया ,मैं भी मुस्काई |
रंग मुस्कानों का ,सबने जो हम पर डाला ,
दोनों की ही देखो,हो गई रंगाई |
जिंदगी की राहों में ,हम साथ में चले ,
दोनों ने ही देखो ,अपनी मंज़िल पाई |
दिन गए बीतते ,वर्ष बन गए ,
दिनों या वर्षों की ,गिनती नहीं हो पाई |
कल जो बीत गया है ,सुंदर सा ही था ,
आगे आने वाले कल की ,छवि नहीं बन पाई |
सोचों में डूबे हम तो ,आगे को बढ़ चले ,
सोचों में ही हमने ,दुनिया ये सारी पाई |
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