ना बंद करो
दरवाजे ना बंद करो तुम ,
रिश्ते सभी बिखर जाएँगे ,
वो तो सभी टूट जाएँगे |
रिश्ते ,जो खिलखिलाती प्रकृति से हैं ,
रिश्ते, जो बहती पवन से हैं ,
रिश्ते ,जो नदिया और सागर से हैं ,
रिश्ते ,जो धूप और रवि से हैं |
जब मिलेंगे नहीं तो , रिश्ते पनपेंगे कैसे ?
प्यार का जल और दुलार की खाद ना दोगे ,
तो रिश्ते फले - फूलेंगे कैसे ?
इसीलिए दरवाजे ना बंद करो तुम |
बाहर निकल कर प्रकृति के साथ ,
खिलखिलाओ तुम ,
बाहर निकल कर पवन के संग ,
बहते जाओ तुम ,
बाहर निकल कर नदिया और सागर से ,
छलछलाओ तुम ,
बाहर निकल कर धूप और रवि जैसे ,
संसार को जगमगाओ तुम |
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