श्रृंगार
श्रृंगार है एक शब्द मगर ,
छिपा है उसमें एक फ़साना ,
श्रृंगार जो कर ले ,
वो तो बन जाए एक अफसाना |
माता रानी ,देवी माँ का ,
हर दिन का अलग है श्रृंगार ,
सुंदर हर दिन ,प्यारी हर दिन ,
चम -चम करता उनका श्रृंगार |
लड़की जब दुल्हन बनती ,
करती है वो सोलह श्रृंगार ,
नया रूप सज जाता है ,
जब होता है सोलह श्रृंगार |
बिंदिया ,टीका ,काजल ,नथनी ,
हारों और गजरों से सजाया जाता है ,
मेहँदी ,चूड़ा ,हथफूल ,करधनी ,
साड़ी और शाल पहनाया जाता है ,
पायल ,बिछिया ,महावर ,कंगन ,चूनर ,
लाली और सिंदूर सजाया जाता है |
चमक उठती है ,दमक उठती है ,
माता रानी और दुल्हन ,
जब करती हैं पूरा श्रृंगार ,
मगर आज कल कहते हैं "मेक -अप " दोस्तों ,
बोल के देखो दोनों शब्द ,
क्या सुंदर है ? क्या मीठा है ?
मेक - अप या श्रृंगार ?
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