Tuesday, May 31, 2022

KHILATE EHSAAS ( PREM )

  

                    खिलते एहसास 

 

एहसास -- 

ए -- एक ,

ह -- हम ,

सा -- साया ,

स -- सजन ,

एक हम साया सजन ,साथ -साथ है हमारा चलन ,

गीत और संगीत में मिलन ,फिर पलता है भावों में परन | 


दिल में भावों के एहसास हैं ,जो खिलते हैं पल - पल सजन ,

इस बहाने इस जहां में ,हुआ है अपना मिलन |


फूल खिलते हैं चमन में ,और एहसास मन में ,

फूलों की उम्र छोटी ,खिल के वो मुरझाएँ ,

एहसास खिलने के बाद ,पल - पल बढ़ते जाएँ | 


हर नजारा तो जैसे ,संगीत हमें सुनाए ,

संगीत की उस मधुर तान पे ,कदम नृत्य कराएँ | 


रात  निद्रा में डूबे ,सपनों में हम जब खो गए ,

सुंदर सपनों ने भी मन में ,कुछ एहसास खिला दिए ,

जिनका साथ पा के हम ,चल पड़े तेरे संग सजन | 


एहसास होते हैं ख़ुशी के ,जो प्यार में डूबे हों ,

एहसास होते हैं दुःखों के ,जो दर्द में डूबे हों ,

दोनों ही अहसासों को बंधु ,दिल में तुम सजा लो ,

मुस्कानों के झूले में तुम ,एहसासों को झुला लो ,

प्यार की बगिया में तुम ,एहसासों को खिला लो ,

तभी तो कहलाएँगे वो ,खिलते एहसास ,खिलते एहसास | 

 

 [ ( ई बुक )-" खिलते एहसास "]

Sunday, May 29, 2022

SANDHYAA ( KSHANIKA)

 

 

                  संध्या 

 

दिन भी बीत चला है अब ,

आई है एक शाम नवेली ,

अस्त हो चला भानु अब तो ,

हुई है देखो शाम अलबेली | 

 

भानु रश्मियाँ छिटक गईं गगन में ,

हुई है  अब तो संध्या सुनहरी ,

लगा धरा ने भी ओढ़ ली है ,

सुंदर सी ओढ़नी सुनहरी | 

 

मुस्कान बढ़ी धरा की अब तो ,

धीरे से  दिन  है ढला ,

भानु रश्मियाँ घटती गईं ,

तिमिर का राज बढ़ चला | 

 

रोके कैसे तिमिर को कोई ? 

भानु अपने घर को चला ,

भानु जब घर पहुँच गया ,

तो तिमिर रात में ढला | 

 

तिमिर जब गहरा गया ,

तो चाँद गगन में खिला ,

धरा की ओढ़नी का रंग भी ,

चाँदनी के रंग में ढला | 

 

Saturday, May 28, 2022

BANJARA KAHATA HAI ( GEET )

 

             बंजारा  कहता है 

 

वक्त कभी नहीं रहता समान ,

वक्त बदलता रहता है ,

अपने वक्त के साथ चलो ,

ये एक बंजारा कहता है | 


धीरे से मत चलना बंधु ,

वक्त से पीछे रह जाओगे ,

आगे गर तुम जो निकल गए ,

पर वक्त को बदल ना पाओगे ,

अपने अनुसार करने के लिए ,

सम्मान वक्त का कर लो तुम ,

यही बात बंजारा कहता है | 


हर वक्त बीतता जाता है ,

वक्त नहीं रुकता बंधु कभी ,

हँसते रहने से वक्त बीते आसान ,

रोते रहने से वक्त रिड़केगा अभी ,

मुस्काते हुए जीवन बिताओ ,

ये भी बंजारा कहता है | 


आहट भी नहीं होती है ,

वक्त की धीमी चापों की ,

तुम कभी नहीं सुन पाओगे ,

आहट वक्त की थापों की ,

तो ऐसे में तुम मुस्कान धरो ,

ये सब बंजारा कहता है ,

ये सब बंजारा कहता है | 


Thursday, May 26, 2022

JALEBI ( GEET )

 

              जलेबी 

 

 मीठी रे मीठी ,मैं हूँ मीठी - मीठी ,

सरल नहीं जीवन मेरा ,

फिर भी मीठी -मीठी | 

 

देती मिठास इस दुनिया को ,

देती हूँ स्वाद इस दुनिया को ,

मुझे बनाना सीखो तुम ,

मैं हूँ मीठी - मीठी | 

 

समय खूब लग जाता है ,

फिर मुझको तला यूँ जाता है ,

तलने पर भी मैं ना हूँ ,

ना मैं तीखी - तीखी | 

 

तलने के बाद फिर मुझे ,

रस में खूब डुबोया जाता है ,

डूब - डूब के रस में बनती , 

हूँ मैं मीठी - मीठी | 


सीधी ,सरल ,सपाट नहीं मैं ,

किसी के घर का कपाट नहीं मैं ,

अपने आप में उलझी हूँ मैं ,

हूँ मैं मीठी - मीठी | 


जाना नहीं है तुमने मुझे ,

पहचाना नहीं है तुमने मुझे ,

उलझा - उलझा सा मेरा रूप ,

नाम  "जलेबी " मीठी - मीठी | 



Sunday, May 22, 2022

USHA SILAAI MASHEEN ( GEET )

   

                उषा सिलाई मशीन 


टाँका - टाँका जोड़ के ,सुंदर करे सिलाई ,

कपड़ा नया बनाय दे ,कच्चे को पकाय दे ,

सिल कर वो कपड़े को ,पहनने जोग बनाय दे | 


एक -एक टाँका जोड़ती जाय ,हर कपड़ा सिल जाय ,

ऐसी मेरी मशीन है जो ,सबको सुंदर बनाय दे ,

सादे कपड़े को भी वो ,सुंदर ड्रेस बनाय  दे | 


टक -टक -टक आवाज करे ,सरपट दौड़ी जाय ,

कपड़ों को सिल -सिल कर ,दूजों को पहनाय ,

नई -नई कारीगरी ,कपड़ों पर वो दिखाय | 


क्या तुम समझे ? नहीं ना ,हम ही तोहे बताय दें ,

वो है उषा सिलाई मशीन ,जिसके गुण हम गाय दें ,

बड़ी ही मजबूत है वो ,जीवन सफल बिताय दे | 


नहीं वो नन्हीं बालिका ,नहीं है नवयौवना ,

हमारी उषा सिलाई मशीन तो ,सेवा -निवृत्ति पाय के ,

मगर आज भी बंधु ,कारीगरी दिखाय दे | 


पैंसठ साल बिताय के ,बच्चों सी ऊर्जा पाय ,

नहीं है वो कमजोर सी ,मजबूती ही पाय ,

ऐसी मेरी उषा मशीन बंधु ,हम जीवन साथ बिताय | 


पैंतालीस साल से साथ हम ,पहले सासू माँ चलाय ,

सासू माँ के बाद में ,बहुरिया उनकी चलाय ,

दोनों की ही प्यारी ये ,उषा सिलाई मशीन करे सिलाई | 


Friday, May 20, 2022

CHHOTI KAVITA ( KSHANIKA )

                  

               छोटी कविता 

 

आई वसंत ऋतु ,छायी वसंत ऋतु ,

खिले फूल बगिया में ,बगिया फूली | 

 

उड़ीं तितलियाँ ,रंग -बिरंगी तितलियाँ ,

दिल हमारा डोला ,देख के तितलियाँ | 

 

नन्हीं तितलियों की ,छोटी सी कविता ,

भाव चाहे बड़े हों ,मगर छोटी सी कविता | 

 

भाव तो दिल में ,मगर कागज पर कविता ,

भावों को समझो और ,समझो छोटी सी कविता |

Monday, May 16, 2022

DOOB GAE ( GEET )

 

            डूब  गए 

 

जब मिले हम तुम से ,

प्यार के सपनों में डूब गए ,

तुम भी तो मेरे जानम ,

प्यार के सपनों में डूब गए | 

 

दुनिया रंग -भरी दिखने लगी ,

मुस्कुराहटें होठों पे खिलने लगीं ,

ऐसे मौसम में ही तो हम दोनों ,

प्यार की ख़ुश्बुओं में डूब गए | 

 

जीवन प्यार में सराबोर हो कर ,

प्यार की ताल पे थिरकने लगा ,

ऐसे ही ताल पे थिरकते हुए ,

हम तो गीतों के सुर में डूब गए | 

 

तुम हो जानम ,मेरे हमदम ,

तभी तो हम चलते जाते हैं आगे ,

जीवन तभी तो बढ़ेगा आगे ,

जब तक हम रहेंगे प्यार में डूबे हुए | 

 

Sunday, May 15, 2022

DAAWATNAMA ( JIVAN )

           

                          दावतनामा 

 

आओ दोस्तों ,दावत तुम्हें कराएँ हम ,

थाली विशेष लगा रहे हैं ,तुम्हारे लिए हम | 

 

देखो रोटी बनी है ,सादगी की दोस्तों ,

सब्जी तो बनी भरोसे की ,

और दाल बनाई है प्रेम की हमने ,

जो पहले कभी चखी ना होगी तुमने | 


सारा प्यार डाल दिया है हमने ,

ये पुलाव जो बनाया है हमने ,

सलाद में तो दोस्तों ,सम्मान डाला है ,

आप सब के लिए जो सलाद बनाया हमने | 


रायता बनाया है विश्वास उंडेल कर ,

अचार बनाया गया है प्रेरणा से दोस्तों ,

मिठाई बनाई है हमने अपने दिल की वफ़ा से ,

वफ़ा की मिठास ही आपको मिलेगी | 


इस थाली को देखकर खुश हो जाओ तो ,

खाकर चटखारे लो ,और दो अपनी मुस्कान ,

मेहनत वसूल होगी अपनी दोस्तों ,

तर जाएँगे हम उस मुस्कान से ,

तर जाएँगे हम उस मुस्कान से | 


KHILAUNE ( JIVAN )

 

                        खिलौने 

 

बचपन के वो सुंदर खिलौने ,

मिट्टी के वो रंगीन खिलौने ,

अलग -अलग रूप के खिलौने ,

कोई था घोड़ा ,कोई था सवार ,

कोई था राजा ,कोई था सैनिक ,

हमारे दिल भावन थे वो खिलौने ,

दिल के बहुत करीब थे वो खिलौने | 

 

उन्हें हमने अपना दोस्त बनाया ,

उनके साथ कभी खेल रचाया ,

उनके साथ कभी क्लास लगाई ,

हमारे दोस्त बन गए वो खिलौने ,

कभी हमारी कक्षा के छात्र ,

बन गए वो खिलौने ,

जीवन की मुस्कान बन गए वो खिलौने | 

 

आज खिलौने हैं प्लास्टिक के ,

जो दिल से नहीं जुड़े हैं ,

जीवन में नहीं रचे - बसे हैं ,

मगर वो मिट्टी के ,लकड़ी के खिलौने ,

जीवन को जीवंत बनाने वाले खिलौने ,

जीवन को मुस्कान देने वाले खिलौने ,

हमारे तो मनचाहे ,सुंदर खिलौने ,

सभी को मिलें वो प्यारे खिलौने ,

सभी को मिलें वो न्यारे खिलौने |

Friday, May 13, 2022

CHAAY - PAKAUDE ( HAASY )

 

                          चाय - पकौड़े 

 

चुस्कियाँ चाय की ,साथ पकौड़ों का ,

चटपटे पकौड़ों संग ,अम्बी ,धनिये की चटनी ,

स्वाद लो बंधु ,अदरक की कड़क चाय का | 

 

सर्दी का मौसम हो ,गर्मागर्म पकौड़े हों ,

आलू ,प्याज,गोभी के पकौड़े हों ,

स्वाद लो बंधु ,अदरक की कड़क चाय का | 

 

रिमझिम बरसात में ,गर्मागर्म पकौड़े हों ,

ब्रेड पकौड़ा खाओ बंधु ,मुँह  स्वाद बढ़ाओ बंधु ,

स्वाद लो बंधु ,अदरक की कड़क चाय का | 

 

मौसम कोई भी हो ,पकौड़ों का रूप बदलो ,

पालक पकौड़ा ,पनीर पकौड़ा खाओ बंधु ,

साथ में लो चटनी का मजा ,

स्वाद लो बंधु ,अदरक की कड़क चाय का | 

 

Thursday, May 12, 2022

DOST HO TUM ( JALAD AA )

 

                 दोस्त हो तुम 

 

मौसम हुआ है गर्म बहुत ,

सूरज भी तप रहा है ,

हर कोई प्राणी दुनिया का ,

जलद का ही नाम जप रहा है | 

 

जलद ही तो बचाएगा सब को ,

सूरज की इस तपन से , 

आँचल बन जब जलद ढाँकेगा ,

तब बचेगी दुनिया ,सूरज की इस जलन से | 


आ जाओ जलद जल्दी से ,

थोड़ी मदद करो तुम ,

ठंडक जरा दिलाओ ,

तपती हुई धरा को तुम | 


तपन हुई कम तो जलद ,

आशीष मिलेगा बहुत सा ,

जीवन तुम्हारा जलद फिर ,

मानो शतक जिएगा | 


नन्हीं सी बदरी हो, या हो विशाल बदरा ,

दोनों ही सूरतों में ,

दोस्त ही  तो हो जलद तुम ,

दोस्त ही तो हो बदरा तुम | 


Saturday, May 7, 2022

MERI MA ( KSHANIKA )

 

             मेरी माँ 

 

नहीं है एक दिवस माँ का ,

हर दिन है अपना माँ के नाम ,

मैं भारत की बेटी हूँ ,

हर अर्चना होती है माँ के नाम | 

 

माँ तो है अपनी जननी ,

बड़ी है दुर्गा माँ मेरी ,

पूरे देश की माता है भारत माता ,

मगर पूरे विश्व की माता है - धरती माता | 


सबको है प्रणाम मेरा ,

सबको है नमन मेरा ,

झुककर सभी को चरण वंदन मेरा ,

दो मुझको आशीष मेरी माँ | 


Thursday, May 5, 2022

JIVAN NAIYAA ( RATNAAKAR )

 

            जीवन नैया 

 

बीत गए हैं दिन बहुतेरे ,

आ नहीं पाए पास तुम्हारे ,

रत्नाकर तुम तो हो दोस्त ,

हम भी तो हैं दोस्त तुम्हारे | 

 

तुम तो हमको रोज बुलाते ,

पर हम कैसे आएँ पास तुम्हारे ? 

राह में खड़ी हैं बहुत सी बाधा ,

नहीं दूर हम उन्हें कर पाते | 


कमी समय की भी रत्नाकर ,

व्यस्त सदा रहते हैं हम ,

कम होगी जब अपनी व्यस्तता ,

थोड़ा समय निकालेंगे फिर हम | 


मिल कर बात करेंगे फिर हम ,

वक्त कटेगा पंख लगा कर ,

जीवन नैया ऐसे ही तब ,

पार लगेगी तैर - तैर कर | 


Wednesday, May 4, 2022

BAANHON ME ( CHANDRAMA )

 

             बाँहों में 

 

ऊपर क्यों रुका है चाँद ,

उत्तर आ मेरी बाँहों में , 

कभी तो तू भी आजा ,

दिल की धड़कनों की चाहों में | 


माना गगन है घर तेरा ,

नीचे धरा की मैं वासी ,

शुरू से ही तू तो है ,

बसा मेरी निगाहों में | 


झिलमिलाते नन्हें तारे ,

चाँद हैं वो सब साथी तेरे ,

हैं यहाँ सभी साथी मेरे ,

धरा की पनाहों में | 


चाँद तू है बिंदी गगन की ,

धरा के हम फूल हैं ,

गगन में तू रूप भरता ,

धरा ने रखा हमें अपनी छाँवों में | 


चाँद तेरी चाँदनी का आँचल ,

आज भी फैला धरा पर ,

हम सब ही आए हैं ,

चमकीले आँचल की पनाहों में |