दोस्त हो तुम
मौसम हुआ है गर्म बहुत ,
सूरज भी तप रहा है ,
हर कोई प्राणी दुनिया का ,
जलद का ही नाम जप रहा है |
जलद ही तो बचाएगा सब को ,
सूरज की इस तपन से ,
आँचल बन जब जलद ढाँकेगा ,
तब बचेगी दुनिया ,सूरज की इस जलन से |
आ जाओ जलद जल्दी से ,
थोड़ी मदद करो तुम ,
ठंडक जरा दिलाओ ,
तपती हुई धरा को तुम |
तपन हुई कम तो जलद ,
आशीष मिलेगा बहुत सा ,
जीवन तुम्हारा जलद फिर ,
मानो शतक जिएगा |
नन्हीं सी बदरी हो, या हो विशाल बदरा ,
दोनों ही सूरतों में ,
दोस्त ही तो हो जलद तुम ,
दोस्त ही तो हो बदरा तुम |
No comments:
Post a Comment