खिलते एहसास
एहसास --
ए -- एक ,
ह -- हम ,
सा -- साया ,
स -- सजन ,
एक हम साया सजन ,साथ -साथ है हमारा चलन ,
गीत और संगीत में मिलन ,फिर पलता है भावों में परन |
दिल में भावों के एहसास हैं ,जो खिलते हैं पल - पल सजन ,
इस बहाने इस जहां में ,हुआ है अपना मिलन |
फूल खिलते हैं चमन में ,और एहसास मन में ,
फूलों की उम्र छोटी ,खिल के वो मुरझाएँ ,
एहसास खिलने के बाद ,पल - पल बढ़ते जाएँ |
हर नजारा तो जैसे ,संगीत हमें सुनाए ,
संगीत की उस मधुर तान पे ,कदम नृत्य कराएँ |
रात निद्रा में डूबे ,सपनों में हम जब खो गए ,
सुंदर सपनों ने भी मन में ,कुछ एहसास खिला दिए ,
जिनका साथ पा के हम ,चल पड़े तेरे संग सजन |
एहसास होते हैं ख़ुशी के ,जो प्यार में डूबे हों ,
एहसास होते हैं दुःखों के ,जो दर्द में डूबे हों ,
दोनों ही अहसासों को बंधु ,दिल में तुम सजा लो ,
मुस्कानों के झूले में तुम ,एहसासों को झुला लो ,
प्यार की बगिया में तुम ,एहसासों को खिला लो ,
तभी तो कहलाएँगे वो ,खिलते एहसास ,खिलते एहसास |
[ ( ई बुक )-" खिलते एहसास "]
No comments:
Post a Comment