Thursday, June 2, 2022

DHUN BAJAAE ( RATNAAKAR )

 

          धुन बजाए 

 

 समंदर - समंदर यहाँ से वहाँ तक ,

कोई ओर ना छोर ,जिसका जहाँ तक ,

कोई हद नहीं है उसकी ,वो  कहाँ तक ? 


नज़रों की सीमा के पार है वो ,

नीले आसमां के भी पार है वो ,

खारा सा पानी लिए ,मगर प्यार है वो | 

 

अनजानी दुनिया को खुद में समाए ,

जीवों के जीवन को ,आँचल में बसाए ,

जीवन दाता ही तो है ,जीवन का आधार है वो | 

 

अनगिनत जीव पलते हैं अंदर ,

रंगों का ही अंदर है फैला समंदर ,

लहरों की बीना पे , मन मोहक धुन बजाए | 


रत्नों को अपने खजाने में समेटा ,

अपने ही आँचल में ,उनको लपेटा ,

तभी तो समंदर ,रत्नाकर कहलाए | 


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