अधूरे सब
पूरे इस संसार में ,कोई प्राणी नहीं पूरा है ,
हर कोई यहाँ अधूरा है ,कोई नहीं पूरा है |
कमी तो बंधु ,सब में है ,तुम में भी और मुझ में भी ,
इसीलिए तो बंधु ,हर कोई यहाँ अधूरा है |
कोई शरीर से है अधूरा ,कोई मन से अधूरा है ,
हाथ ,पाँव में कमी है ,और कोई सोच से अधूरा है |
किन्नर भी हैं इस धरती पर ,कोई गड़बड़ी में डूबा रहता है ,
मन किसी का डूबा ख्यालों में ,कोई काम नहीं कर सकता है |
ऐसे में किसी को ,कैसे करें पूरा ? कोई हल नहीं मिलता है ,
हम भी तो इसी में उलझे बंधु ,फिर पूरे कैसे हो सकते हैं ?
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