गुण जलद के
नन्हें हों बदरा ,या बड़े हों बदरा ,
हैं तो सभी जलद ,यानि जल देने वाले |
उड़ता है जल समंदर से ,
पेड़ - पौधों से ,नदिया ,पोखरों से ,
हवा में उड़ते -उड़ते ,गीला करते -करते ,
बन जाता है रूप जलद का |
कभी तो पतला -पतला ,रूई के फाहे जैसा ,
हल्का - हल्का सा ,
बयार से ही इधर - उधर को डोलता ,
है तो नन्हा सा जलद ही |
कभी तो मोटा - मोटा ,गहरे काले रंग का ,
दामिनी का साथ इसका ,
गर्जन भी और चमक भी ,
तेज हवा के झोंके से भी ,
धीरे - धीरे ही उड़े जलद |
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