Friday, June 10, 2022

GUNATE HAIN PUSTAK ( JIVAN )

 

                         गुनते हैं पुस्तक 

 

पुस्तक से जुड़ता नाता ,बचपन ही से बंधु ,

पहले थी अक्षर माला ,धीरे से आईं कहानियाँ ,

धीरे -धीरे पढ़ना आया ,और हमें भाईं कहानियाँ | 


हर पुस्तक का रूप अलग ,हर पुस्तक का रंग अलग ,

कोई कहानी वाली है ,तो कोई कविता निराली है ,

अलग पुस्तक का मज़ा अलग ,हर कोई डूबा उसमें आली है | 


अपनी पसंद की पुस्तक पाकर ,हर कोई खुश हो जाता है ,

उसी में खो कर के बंधु ,वह अपना समय बिताता है ,

पूरी पढ़ लेने पर वह ,अनुभव सबको बताता है ,

गर्व करते हुए  ही बंधु ,वह बोल -बोल इतराता है | 


हम भी पुस्तक लेते हुए ,अपनी पसंद को चुनते हैं ,

खाली समय के इंतजार में ,एक - एक पल को बुनते हैं ,

पढ़ लेते हैं जब वह पुस्तक ,दिल ही दिल में सब गुनते हैं | 


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