Tuesday, June 7, 2022

UJAALE MEN ( JIVAN )

 

                   उजाले में 

 

सोच मेरी है दीपक जैसी ,करे उजाला चारों ओर ,

उस उजाले में चमके जीवन ,जिसका कोई ओर ना छोर | 

 

उजाला चाहे थोड़ा हो ,है तो दोस्तों सबकी ओर ,

नहीं सिमटूँ मैं पर्दे में ,दूँ मैं उजाला सबकी ओर | 

 

उजाला तो लौ के ,चारों ओर है जाता ,

सब को ही रोशन करता ,सब को ही चमकाता | 

 

क्यों मैं सोचूँ ? हुआ उजाला किसके घर ? 

 मेरा छोटा सा उजाला ,रोशन करे सभी के घर | 


आओ दोस्तों तुम भी अब ,डूबो इसी उजाले में ,

मेरा और आपका साथ दोस्तों ,पनपा है इसी उजाले में | 


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