रोशन करूँ
नहीं रश्मियाँ सूरज की ,अपने अंदर बसतीं ,
नहीं चंदनिया चाँद की ,अपने अंदर चमकती |
नहीं रोशनी कोई है , अपने दिल के अंदर ,
जो जग को चमकाए ,रोशन उसे कर जाए |
दी ईश्वर ने रोशनी ,सूरज ,चाँद ,सितारों को ,
वो ही चमकाते हैं ,इस धरा के ज़र्रों को |
सीरत दे दो ईश्वर ,नन्हें चिराग के जैसी ,
कुछ तो जग रोशन करूँ,कुछ कण को रोशन करूँ |
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