Monday, June 27, 2022

TAAJPOSHII ( JIVAN )

 

 

                 ताजपोशी 

 

याद आते हैं मुझे ,स्कूल के वो दिन ,

काँधे पे बस्ता टाँग के ,चलते थे सीना तान के | 

 

खुशियाँ झलकती थीं चेहरे से ,मानो जीती कोई जंग ,

खुशियों में डूबे रहते थे ,हम थे मलंग ,हम थे मलंग | 

 

दोस्तों की टोलियाँ ,जब लगातीं कहकहे ,

लगता था हमको ऐसा ,कुछ चुटकुले हमने कहे | 

 

रात और दिन का ,हमको फर्क नहीं था भाता ,

हमको तो हर समय ही ,एक जैसा समझ था आता | 

 

पढ़ना ,लिखना और खेलना ,यही था हमारा काम ,

आज के समय में तो दोस्तों ,आराम है हराम | 

 

काश वो दिन ,प्यारे दिन ,लौटा दे कोई ,

लगेगा हमें जैसे ताजपोशी ,कर गया है कोई | 

 

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