मुस्कान तेरी मेरी
गगन के चंदा ,आ उतर कर ,
गप्पें मारेंगे ,ढेर सारी ,
खिड़की से तू अंदर आना ,
खुलीं हैं मेरी खिड़की सारी |
तू तो सखा है मेरा चंदा ,
मैं भी तेरी सखी हूँ चंदा ,
कई दिनों से हुईं ना बातें ,
वो सब हुईं इकट्ठी सारी |
मुझे देख कर तू खुश होता ,
तुझे देख कर मैं खुश होती ,
तेरी प्यारी सी मुस्कानों पर ,
मैं तो जाती चंदा वारि |
तू तो नीचे आ सकता है ,
मैं नहीं ऊपर आ सकती चंदा ,
मेरे पास नहीं कोई सीढ़ी ,
जो मैं आऊँ दुनिया थारी |
मुस्कानें चंदा अपनी हैं ,
इक दूजे को खुश करती हैं ,
दुनिया भी अपनी मुस्कानों को ,
देख - देख मुस्काती सारी |
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