क्या होगा ?
संसार बनाया रचयिता ने ,
उसी में सबसे सुंदर रचना ,बनाई मानव उसने ,
दिया मुस्कान का वरदान ,मानव को उसने ,
लेकर मानव सब भूल गया ,
बेईमानी में सिर तक डूब गया |
सुंदर से संसार को किया नष्ट ,
क्योंकि मानव हो गया भ्रष्ट ,
संसार को नहीं रखा उसने स्वच्छ ,
संसार के संसाधन हो गए नष्ट |
संसार का जो नुकसान हुआ ,
तो मानव ने मानो अपने लिए कुँआ खोदा ,
गिरा मानव उसी में खुद ,
सब सुख हुए मानव के नष्ट |
आज संसार में सब कुछ है नष्ट ,
आज मानव हो रहा है त्रस्त ,
महामारी का जोर है ,लाचारी का जोर है ,
क्या मानव इस सब से उबरेगा ?
क्या उसका जीवन स्तर सुधरेगा ?
क्या होगा ? पता नहीं ,पता नहीं |
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