जीवन नैया
बीत गए हैं दिन बहुतेरे ,
आ नहीं पाए पास तुम्हारे ,
रत्नाकर तुम तो हो दोस्त ,
हम भी तो हैं दोस्त तुम्हारे |
तुम तो हमको रोज बुलाते ,
पर हम कैसे आएँ पास तुम्हारे ?
राह में खड़ी हैं बहुत सी बाधा ,
नहीं दूर हम उन्हें कर पाते |
कमी समय की भी रत्नाकर ,
व्यस्त सदा रहते हैं हम ,
कम होगी जब अपनी व्यस्तता ,
थोड़ा समय निकालेंगे फिर हम |
मिल कर बात करेंगे फिर हम ,
वक्त कटेगा पंख लगा कर ,
जीवन नैया ऐसे ही तब ,
पार लगेगी तैर - तैर कर |
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