उषा सिलाई मशीन
टाँका - टाँका जोड़ के ,सुंदर करे सिलाई ,
कपड़ा नया बनाय दे ,कच्चे को पकाय दे ,
सिल कर वो कपड़े को ,पहनने जोग बनाय दे |
एक -एक टाँका जोड़ती जाय ,हर कपड़ा सिल जाय ,
ऐसी मेरी मशीन है जो ,सबको सुंदर बनाय दे ,
सादे कपड़े को भी वो ,सुंदर ड्रेस बनाय दे |
टक -टक -टक आवाज करे ,सरपट दौड़ी जाय ,
कपड़ों को सिल -सिल कर ,दूजों को पहनाय ,
नई -नई कारीगरी ,कपड़ों पर वो दिखाय |
क्या तुम समझे ? नहीं ना ,हम ही तोहे बताय दें ,
वो है उषा सिलाई मशीन ,जिसके गुण हम गाय दें ,
बड़ी ही मजबूत है वो ,जीवन सफल बिताय दे |
नहीं वो नन्हीं बालिका ,नहीं है नवयौवना ,
हमारी उषा सिलाई मशीन तो ,सेवा -निवृत्ति पाय के ,
मगर आज भी बंधु ,कारीगरी दिखाय दे |
पैंसठ साल बिताय के ,बच्चों सी ऊर्जा पाय ,
नहीं है वो कमजोर सी ,मजबूती ही पाय ,
ऐसी मेरी उषा मशीन बंधु ,हम जीवन साथ बिताय |
पैंतालीस साल से साथ हम ,पहले सासू माँ चलाय ,
सासू माँ के बाद में ,बहुरिया उनकी चलाय ,
दोनों की ही प्यारी ये ,उषा सिलाई मशीन करे सिलाई |
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