जलेबी
मीठी रे मीठी ,मैं हूँ मीठी - मीठी ,
सरल नहीं जीवन मेरा ,
फिर भी मीठी -मीठी |
देती मिठास इस दुनिया को ,
देती हूँ स्वाद इस दुनिया को ,
मुझे बनाना सीखो तुम ,
मैं हूँ मीठी - मीठी |
समय खूब लग जाता है ,
फिर मुझको तला यूँ जाता है ,
तलने पर भी मैं ना हूँ ,
ना मैं तीखी - तीखी |
तलने के बाद फिर मुझे ,
रस में खूब डुबोया जाता है ,
डूब - डूब के रस में बनती ,
हूँ मैं मीठी - मीठी |
सीधी ,सरल ,सपाट नहीं मैं ,
किसी के घर का कपाट नहीं मैं ,
अपने आप में उलझी हूँ मैं ,
हूँ मैं मीठी - मीठी |
जाना नहीं है तुमने मुझे ,
पहचाना नहीं है तुमने मुझे ,
उलझा - उलझा सा मेरा रूप ,
नाम "जलेबी " मीठी - मीठी |
No comments:
Post a Comment