प्यार के घेरे
चाँद सदा तू नभ से झाँके ,
कभी तो आजा पास मेरे ,
कभी तो मेरा हाथ पकड़ कर ,
लगा ले गलियों के फेरे ॥
रात - रात तू फिरे अकेला ,
कोई भी ना साथ तेरे ,
देख उतर कर नीचे आजा ,
घूमेगा फिर मेरे साथ ॥
रंग तेरा चाँदी के जैसा ,
चमके चम - चम चमकीला ,
खिली चाँदनी फ़ैली जैसे ,
मुस्कानें सब ओर बिखेरे ॥
सब ही तेरी मुस्कानों पर ,
फ़िदा हुए हैं देख उन्हें ,
उनमें से कुछ - कुछ तो चंदा ,
दोस्त बने हैं तेरे - मेरे ॥
बढ़ा कदम तू नीचे आजा ,
रुक कर वहाँ करेगा क्या ?
रहा अकेला नील - गगन में , तो ,
क्या पाएगा प्यार के घेरे ??
रूप है घटता - बढ़ता तेरा ,
नयी - नयी रातों के साथ ,
कैसे सह पाता है तू ?
नभ क्यूँ तेरा रूप हरे ??
रूप है तेरा शीतल - शीतल ,
कोई नहीं तेरे जैसा ,
दुनिया भर में ढूँढ ले कोई ,
नहीं पाएगा ऐसा ॥
नभ में चमक जिसकी है ,
हवा गर्म है उसकी तो ,
सिर्फ तेरा आँचल है शीतल ,
गर्मी नहीं है उसमें तो ॥
आस - पास की गर्मी सहकर ,
रहता कैसे तू ऊपर ?
जीवन कैसे बीते तेरा ?
गर्मी में यूँ खड़े - खड़े ॥
चाँद सदा तू नभ से झाँके ,
कभी तो आजा पास मेरे ,
कभी तो मेरा हाथ पकड़ कर ,
लगा ले गलियों के फेरे ॥
रात - रात तू फिरे अकेला ,
कोई भी ना साथ तेरे ,
देख उतर कर नीचे आजा ,
घूमेगा फिर मेरे साथ ॥
रंग तेरा चाँदी के जैसा ,
चमके चम - चम चमकीला ,
खिली चाँदनी फ़ैली जैसे ,
मुस्कानें सब ओर बिखेरे ॥
सब ही तेरी मुस्कानों पर ,
फ़िदा हुए हैं देख उन्हें ,
उनमें से कुछ - कुछ तो चंदा ,
दोस्त बने हैं तेरे - मेरे ॥
बढ़ा कदम तू नीचे आजा ,
रुक कर वहाँ करेगा क्या ?
रहा अकेला नील - गगन में , तो ,
क्या पाएगा प्यार के घेरे ??
रूप है घटता - बढ़ता तेरा ,
नयी - नयी रातों के साथ ,
कैसे सह पाता है तू ?
नभ क्यूँ तेरा रूप हरे ??
रूप है तेरा शीतल - शीतल ,
कोई नहीं तेरे जैसा ,
दुनिया भर में ढूँढ ले कोई ,
नहीं पाएगा ऐसा ॥
नभ में चमक जिसकी है ,
हवा गर्म है उसकी तो ,
सिर्फ तेरा आँचल है शीतल ,
गर्मी नहीं है उसमें तो ॥
आस - पास की गर्मी सहकर ,
रहता कैसे तू ऊपर ?
जीवन कैसे बीते तेरा ?
गर्मी में यूँ खड़े - खड़े ॥
No comments:
Post a Comment