चंद्रमा ( सखि ) भाग - 30
सागर मैं तेरी सखि बनी ,
जीवन - चर्या बनी घनी ,
लहरों की तेरी कल - कल , छल - छल ,
जीवन की मेरे तरंग बनी ॥
लहरें आतीं , हाथ मिलातीं ,
मीठे स्वर में गीत सुनातीं ,
इन्हीं स्वरों को सुनकर मैं तो ,
उन लहरों की फैन बनी ॥
तेरा वो संदेसा लातीं ,
मुझ तक उसे वो पहुँचातीं ,
मेरा संदेसा भी तो लहरें ,
ले कर वो क़ासिद बनीं ॥
उछल - कूद कर आईं लहरें ,
मानो कोई हिरनी हो जंगल में ,
शोर करें यूँ लगातार वो ,
घर में शैतान सी बच्ची बनीं ,
अरे ज़रा देख तो सागर ,
लहरें तेरी उछल - उछल कर ,
गीत प्यार के गातीं हैं ,
तेरे साथ वो भी मेरी सखि बनीं ॥
सागर मैं तेरी सखि बनी ,
जीवन - चर्या बनी घनी ,
लहरों की तेरी कल - कल , छल - छल ,
जीवन की मेरे तरंग बनी ॥
लहरें आतीं , हाथ मिलातीं ,
मीठे स्वर में गीत सुनातीं ,
इन्हीं स्वरों को सुनकर मैं तो ,
उन लहरों की फैन बनी ॥
तेरा वो संदेसा लातीं ,
मुझ तक उसे वो पहुँचातीं ,
मेरा संदेसा भी तो लहरें ,
ले कर वो क़ासिद बनीं ॥
उछल - कूद कर आईं लहरें ,
मानो कोई हिरनी हो जंगल में ,
शोर करें यूँ लगातार वो ,
घर में शैतान सी बच्ची बनीं ,
अरे ज़रा देख तो सागर ,
लहरें तेरी उछल - उछल कर ,
गीत प्यार के गातीं हैं ,
तेरे साथ वो भी मेरी सखि बनीं ॥
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