सखियाँ
कल - कल , कल - कल नदिया बहती ,
चल दी मेरे साथ ,
छल - छल , छल - छल करती - करती ,
चल दी मेरे साथ ॥
राह साथ - साथ दोनों की ,
गगन छाँव थी हम दोनों की ,
राह के मंजर देखे हमने ,
मिल कर साथ - साथ ॥
तरु की छाया मिली घनेरी ,
रवि किरणों ने की अठखेलियाँ ,
कभी मुझे डुबाया रंगों में ,
कभी नदिया का दिया साथ ॥
पवन चली जब मद्धम - मद्धम ,
नदिया भी चली धीरे - धीरे ,
जब उड़ी पवन तीव्र गति ,
नदिया भी बही पवन के साथ ॥
नीर नदी का ठंडा - ठंडा ,
छुआ जो हाथ बढ़ा कर के ,
हँस - हँस कर नदिया छलकी ,
भरी अँजुरी जल पीने को ॥
पीले सखि ये शीतल जल ,
कह - कह के नदिया छलकी जाती ,
पी - पी कर वो शीतल जल ,
मैं भी अपनी प्यास बुझाती ॥
सखि बन गयी वो मेरी ,
प्यार उमड़ आया दिल में ,
दोनों सखियाँ दौड़ चलीं ,
साथ - साथ हाँ साथ -साथ ॥
खिल - खिल - खिल वो हँसती जातीं ,
सबके दिल में बसती जातीं ,
सखियाँ दो प्यारी सखियाँ ,
दुनिया से न्यारी सखियाँ ॥
एक धरा पर रहने वाली ,
एक धरा पर बहने वाली ,
पर दोनों ही हाथ पकड़ कर ,
दौड़ लगाने वाली सखियाँ ॥
कल - कल , कल - कल नदिया बहती ,
चल दी मेरे साथ ,
छल - छल , छल - छल करती - करती ,
चल दी मेरे साथ ॥
राह साथ - साथ दोनों की ,
गगन छाँव थी हम दोनों की ,
राह के मंजर देखे हमने ,
मिल कर साथ - साथ ॥
तरु की छाया मिली घनेरी ,
रवि किरणों ने की अठखेलियाँ ,
कभी मुझे डुबाया रंगों में ,
कभी नदिया का दिया साथ ॥
पवन चली जब मद्धम - मद्धम ,
नदिया भी चली धीरे - धीरे ,
जब उड़ी पवन तीव्र गति ,
नदिया भी बही पवन के साथ ॥
नीर नदी का ठंडा - ठंडा ,
छुआ जो हाथ बढ़ा कर के ,
हँस - हँस कर नदिया छलकी ,
भरी अँजुरी जल पीने को ॥
पीले सखि ये शीतल जल ,
कह - कह के नदिया छलकी जाती ,
पी - पी कर वो शीतल जल ,
मैं भी अपनी प्यास बुझाती ॥
सखि बन गयी वो मेरी ,
प्यार उमड़ आया दिल में ,
दोनों सखियाँ दौड़ चलीं ,
साथ - साथ हाँ साथ -साथ ॥
खिल - खिल - खिल वो हँसती जातीं ,
सबके दिल में बसती जातीं ,
सखियाँ दो प्यारी सखियाँ ,
दुनिया से न्यारी सखियाँ ॥
एक धरा पर रहने वाली ,
एक धरा पर बहने वाली ,
पर दोनों ही हाथ पकड़ कर ,
दौड़ लगाने वाली सखियाँ ॥
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