बंदगी
इस लोक में और परलोक में ,
एक श्वास का ही अंतर है दोस्तों ,
श्वास चल रही है ,तो इस लोक में बसेरा ,
और श्वास रुक गई तो ,उस लोक में सवेरा |
श्वास चलने से ही ,सब रिश्ते - नाते ,
श्वास रुकते ही ,अनजान सब रिश्ते - नाते ,
श्वास के चलते ही ,सब कर्म हैं दोस्तों ,
श्वास के रुकते ही ,सब मर्म है दोस्तों |
ये श्वास ही है ,जो जीवन है देती ,
ये श्वास ही है ,जो जिंदगी है देती ,
इसी श्वास के कारण ही तो ,
उस रचनाकार की बंदगी है दोस्तों |