काल
पुरातन काल ,पौराणिक काल ,
अँधेरों में डूबा ,रहस्यात्मक काल ,
कब ,क्या हुआ ? कोई ना जाने ,
वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं ,दूसरे उनकी बात काटते हैं |
हम भ्रम में जी रहे हैं ,कौन सही ,कौन गलत ?
किसी के पास कोई प्रमाण नहीं ,
सब कुछ अँधेरों के पर्दे में छिपा हुआ ,
कौन उठाएगा पर्दा ,उजियाला करेगा ?
जिंदगी ऐसी ही है ,पौराणिक काल ,
अँधेरे में बीता हुआ ,
भविष्य भी पर्दे में छिपा हुआ |
सिर्फ वर्तमान है दोस्तों ,यानि आज का समय ,
जो कुछ भी है आज है ,अच्छे से जी लो इसे ,
मुस्कुरा कर बिता लो ,खिलखिलाकर बिता लो ,
तो जिंदगी ,स्वयं मुस्कुराएगी ,स्वयं खिलखिलाएगी |
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