मुस्कुराइए
ख़ुशी हो या ग़म ,होठों पे मुस्कान सजाए रखिए ,
कोई साथ दे या ना दे ,
आशा और विश्वास बनाए रखिए |
आशा और विश्वास के पलड़े में ,पहले खुद को तोलिए ,
तभी दूसरों को उस पलड़े में ,
बिठाने की हिम्मत कीजिए |
यदि दूसरा कोई खरा ना उतरे ,तो क्रोध ना कीजिए ,
क्रोध एक जहर है ,तो इससे उत्पन्न ,
जहर को समाप्त कीजिए ,
इसलिए मुस्कुराइए ,मुस्कुराइए और मुस्कुराइए |
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