दो कप चाय
सुबह - सुबह जब नींद खुली ,और मुस्कान जगी ,
गर्मागर्म चाय की तलब लगी ,तैयार की दो कप चाय ,
चाय तो थी ,एककप अपने लिए ,दूसरा कप उनके लिए |
खिड़की के पास बैठकर बाहर को झाँका ,
तो मौसम खुशगवार था रवि सामने मुस्कुरा रहा था ,
चाय तो थी ,एक कप अपने लिए ,दूसरा कप उनके लिए |
चाय का सिप लिया ,स्वाद आया कड़क चाय का ,
धीरे - धीरे चाय पीते जा रहे थे ,
दोनों ही मानो चाय में डूबे जा रहे थे ,
चाय तो थी ,एक कप अपने लिए ,दूसरा कप उनके लिए |
चलो जी ,चाय तो ख़त्म होने को आई ,
रवि जी बोले ,चाय ख़त्म ,काम पर लग जाओ ,
चाय तो थी ,एक कप अपने लिए ,दूसरा कप उनके लिए |
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