टपरी में
रिमझिम बरखा बरसी है ,चंदा आजा छतरी में ,
तू क्यों भीगे बरखा में , चंदा आजा छतरी में ?
भीगेगा जो तू चंदा , बीमार तू पड़ जाएगा ,
भीगेगा जो तू चंदा ,जुकाम तुझे हो जाएगा ,
बच जा तू इस झंझट से ,चंदा आजा छतरी में |
बरखा का पानी ठंडा ,सर्दी तुझे लग जाएगी ,
तेज - तेज सी बरखा ये ,तुझे नुकसान पहुँचाएगी ,
बच जा तू इस हानि से ,चंदा आजा छतरी में |
आजा गर्म चाय तू पी ,सर्दी दूर हो जाएगी ,
कड़क चाय की एक प्याली ,स्वास्थ्य तुझे दिलवाएगी ,
इसीलिए तो कहती हूँ ,आजा तू मेरी टपरी में ,
आजा तू मेरी छतरी में ,आजा तू मेरी टपरी में |
No comments:
Post a Comment