झड़ी बरखा की
बरखा की लगी है झड़ी ,ज्यों हो मोतियन की लड़ी ,
मौसम सुहाना हुआ ,दिल सभी का मस्ताना हुआ |
रूप कलियों का खिलने लगा ,हरेक गुँचा महकने लगा ,
जीवन जैसे चटकने लगा ,दिल सभी का मस्ताना हुआ |
रंग खुशियों के बिखरने लगे ,इंद्रधनुष भी बनने लगे ,
फूलों से गुलशन सब सजने लगे ,दिल सभी का मस्ताना हुआ |
No comments:
Post a Comment