कर्ज
जिम्मेदारियाँ जिंदगी को मजबूत बनाती हैं ,
हर हाल में हमेंजीना सिखाती हैं ,
किस बात पे हमें चुप रहना है दोस्तों ?
किस बात पे हमें है बोलना बताती हैं ?
कैसे ,कैसे हम सब निभाएँगे दोस्तों ?
कैसे करेंगे पूर्ण ,ये सब वही बताती हैं ?
फिर भी मिलेंगी ,दुनिया वालों की सलाहें ,
उनको भी सहना ,तो वही बताती हैं |
कल भी हम खड़े थे ,उन्हीं के साथ दोस्तों ,
आज भी हमारा - उनका ,साथ है दोस्तों ,
आगे क्या होगा ,कोई जानता नहीं ?
जिम्मेदारियों का हम पे ,कितना है कर्ज दोस्तों ?
No comments:
Post a Comment