Saturday, September 2, 2023

PUKAAR SAAGAR KII ( RATNAAKAR )

 

                           पुकार सागर की 


दूर से चली आई है ,चंचला लहरों की पुकार ,

कहाँ बैठी हो तुम आओ ? हमारी सुन लो पुकार | 


सागर लहरा - लहरा कर , अपनी लंबी बाँहें फैलाकर ,

कह रहा है तुमसे ,बहुत दिन बीते हैं अब तो ,

चली आओ तुम जल्दी से ,चली आओ जाने बहार | 


हमारा दिल भी धड़का अब ,और वह हमसे बोला है ,

क्या सोच रही हो तुम ? उठ जाओ चल दो अब ,

मैं सागर तुम्हारा दोस्त ,हो के बेक़रार ,

कह रहा हूँ बार -बार ,चली आओ जाने बहार | 


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