पुकार सागर की
दूर से चली आई है ,चंचला लहरों की पुकार ,
कहाँ बैठी हो तुम आओ ? हमारी सुन लो पुकार |
सागर लहरा - लहरा कर , अपनी लंबी बाँहें फैलाकर ,
कह रहा है तुमसे ,बहुत दिन बीते हैं अब तो ,
चली आओ तुम जल्दी से ,चली आओ जाने बहार |
हमारा दिल भी धड़का अब ,और वह हमसे बोला है ,
क्या सोच रही हो तुम ? उठ जाओ चल दो अब ,
मैं सागर तुम्हारा दोस्त ,हो के बेक़रार ,
कह रहा हूँ बार -बार ,चली आओ जाने बहार |
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