राखी चाँद की
माँ भारती की मिली जो राखी ,
उसे बाँध चाँद मुस्काया ,
खिड़की पर आहट जो आई ,
देखा जो मैंने चंदा को पाया |
चंदा बोला -- सखि खोल के खिड़की ,
मेरी राखी को देखो ,
दिखा - दिखा के अपनी राखी ,
चंदा खूब मुस्काया ,
कभी नहीं मैंने चंदा को ,
इतना खुश पाया |
ये सब है पहली बार ,
राखी का आदान - प्रदान ,
जुड़ा है रिश्ता माँ भारती ,
और आसमां के चाँद का ,
चंदा तो सचमुच ही ,
बन गया है मामा ,भारतीय बच्चों का |
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