खिलखिलाते रंग
जीवन की भूल - भुलैयाँ में ,
राह हम भूल गए हैं दोस्तों ,
बचपन के सभी खेल भी ,
मानो भूल ही गए हैं दोस्तों ||
आज के जीवन की हलचलों में ,
हम फँस भी गए हैं दोस्तों ,
उन बंधनों से हम को ,
निकाल तो लो दोस्तों ||
साथ जब दोस्तों का ,
मिल जाता है तो ,
मुस्कानें भी तो ,
खिलखिला जातीं हैं दोस्तों ||
रंग खिलखिला जाते हैं ,
और मौसम में बिखर जाते हैं ,
तो जीवन मानो ,
इंद्रधनुष ही बन जाता है दोस्तों ||