राज दोस्ती का
बहुत समय बीता ,दोस्त सभी साथ थे ,
आज का आलम ये है ,दोस्त सभी दूर -दूर हो गए ,
मगर क्या वो दिल से दूर हैं आज ? ?
नहीं ! सभी तो ,
दिल के आंगन में बसे हैं ,
दिल ही दिल में ,बातें होती रहती हैं ,
बातों का सिलसिला ,रुकता नहीं है दोस्तों ||
जब दिल के तार जुड़े हों ,तो दूरी के क्या मायने ?
लगता है सब कुछ ,पहले जैसा ही है ,
सवाल - जवाब सभी ,मानो सुनाई देते हैं ||
मुलाकातें ना भी हों ,क्या फर्क पड़ता है ?
दिल से दिल तक का ,पुल तो मजबूत है ,
उसी से तो दोस्ती जुड़ी है ,
यही तो दोस्ती का ,राज है दोस्तों ||
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