आशीष
सुन ऊपर वाले तेरी दुनिया में ,
तेरी रचना परेशां है ,
जिंदगी दर्द में डूबी है ,
हर इंसान परेशां है ,
आशीष भिजवा दे धरती पर ||
दर्द को तू खत्म कर दे ,
आशीष भिजवा दे धरती पर ,
अपनी रचना को दे राहत ,
दुःखों को दूर कर दे तू ,
आशीष भिजवा दे धरती पर ||
आशीष जब तेरा आएगा ,
तभी आराम आएगा ,
तू भी तो ए - मालिक ,
तभी तो मुस्कुराएगा,
तभी तो तुझसे विनती है ,
आशीष भिजवा दे धरती पर ||
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