फोन चाँद का
आया फोन मेरे चाँद का ,कैसी हो सखि मेरी ?
प्यार में डूबी हूँ तुम्हारे ,बात कहो तुम अपनी सखा ,
रोज -रोज मैं आता हूँ ,तुम सोती मिलती हो ,
कभी तो जागकर ,मिला करो सखि मेरी ||
तुम जब खिलते गगन में ,रात होती है मेरी ,
तभी तो डूबी नींद में ,मैं हूँ तुमको मिलती ,
कभी -कभी जब रात में ,मिल जाते हो मुझको ,
तभी बातें हो पाती हैं ,तुम्हारी और मेरी ||
भारत माँ भीचाहती ,बातें तुमसे करना ,
तभी तो भेजा चंद्रयान ,तुम्हारी खैर - खबर लेने ,
अपनर बारे में मेरे चाँद ,बता दो तुम सारे ही राज ,
तभी तो दुनिया में ,होगा भारत माँ का नाम ||
अब की बार मिलेंगे चंदा ,तब मिलेंगे तीनों ,
भारत माँ ,मैं और चाँद ,बतियाएँगे तीनों ,
जब तुम आओगे तो ,साथ में लाना चंदनिया ,
भारत माँ भी चाँदी जैसी ,चूनर ओढ़ आएगी ||
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