सच चिट्ठी का
आज समय आया है बंधु ,एस. एम. एस. का ,
आज कोई क्या समझे बंधु ? क्या है मजा एक चिट्ठी का ?
प्रेम -पत्र जो हो तो बंधु ,लिखने वाले के भाव छलकते ,
खुश्बु भी उनसे आती थी ,जो दिल को भाती थी ||
चिट्ठी लिखी जब हमने किसी को ,हफ्ता भर इंतजार किया ,
उसी के बाद जब मिली थी चिट्ठी ,पहले निहार लिया ||
खोल के चिट्ठी पढ़ी जब हमने ,लगा उसका दीदार किया ,
लिखने वाले के भाव समझ कर ,उनको हमने स्वीकार किया ||
आज बदल गया है समय वह ,कोई नहीं समझे बंधु ,
इंतजार का मजा है क्या ? फिर पाने का मजा है क्या ?
यही तो चिट्ठी का सच है ,यही तो चिट्ठी का सच है ||
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