आकार है कंकाल
कंकाल है आधार ,इस शरीर का ,
कंकाल है तो आकार ,इस शरीर का ,
कंकाल के कारण ही तो ,हम खड़े हैं ,
कंकाल के कारण ही तो ,हम बड़े हैं |
कंकाल को समझे कोई ,क्यों डरावना ?
कंकाल है गर ठीक तो ,मौसम सुहावना ,
कंकाल ना हो गर हमारे अंदर, तो हम क्या हैं ?
माँस का एक लोथड़ा है, आकार के बिना |
दिल - दिमाग सब तो, कंकाल में सुरक्षित ,
उसी ने तो किया है, सभी को रक्षित ,
कंकाल ही तो दोस्तों है,नींव जिंदगी की ,
सुंदरता है हमारी साँस की ,है आस भी रक्षित |
मजबूती से बना हो ,तो दौड़ हम लगाते ,
वरना तो दोस्तों हम ,चल भी नहीं पाते ,
इसका ख्याल रखना ,रखना इसे सुरक्षित ,
हमारा है कर्त्तव्य कि ,रखें इसको हम सुरक्षित |
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