बयार और तूफ़ान
मीठी -मीठी चली बयार,साँसें आतीं रहीं हजार ,
पेड़ों का ये जादू है, जो चलती रही सरस बयार |
मुस्कान से खिले चेहरे,कहते सब मौसम खुशगवार,
देख-देखकर,सुन -सुनकर,खुद भी तो मुस्काई बयार |
गुड़िया भी खुश होकर खेले ,भैया भी तो झूला झूले ,
पौधों की पत्तियाँ जब हिलतीं ,फूलों की मुस्कानें झूलें |
जब बयार बन जाए पवन ,मम्मी का उड़ जाए दुपट्टा ,
गुड़िया ,भैया भागे जाएँ ,तितलियों को पकड़ ना पाएँ |
होती जाए तेज पवन ,बादल आए उड़ -उड़कर ,
सूरज छिपा बादलों में ,बूँदें झरने लगी झर -झर |
पवन ने अब तेजी पकड़ी ,बदरा भी घनघोर हुए ,
तेजी से वर्षा है आई ,अंधकार फैला है भाई |
सभी छिप गए घर में अपने ,जीव -जंतु, बच्चे जितने ,
कोई नहीं है बाहर अब ,झाँक रहे हैं बाहर सब |
खिड़की भी ना खुले अभी ,वर्षा हो चली मूसलाधार ,
हवा तेज आँधी के जैसी ,कहाँ से आई हवा ये ऐसी ?
पेड़ भी अब तो डोले हैं ,लगता जैसे नहीं हैं बस में ,
हवा ने उनको पस्त किया ,मानो उन्हें परास्त किया |
हवा का ये कैसा है रूप?छिप गई जिसके कारण धूप,
बदरा आए ,वर्षा आई ,हवा ने बदला मौसम का स्वरूप |
हवा के तो हैं अनेकों रंग ,चलते जाते जो संग -संग ,
शांत हो तो है नाम बयार ,ऐसे चलती जैसे तरंग |
हो तेज तो आँधी ,तूफ़ान ,टूटें पेड़ ,उड़ें सामान ,
पर यही हवा जरूरी है ,साँसों का है ये सामान |
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