Thursday, November 12, 2020

BAYAR OR TOOFAN (POETRY FESTIVAL )

    बयार और तूफ़ान 


मीठी -मीठी चली बयार,साँसें आतीं रहीं हजार ,

पेड़ों का ये जादू है, जो चलती रही सरस बयार |


मुस्कान से खिले चेहरे,कहते सब मौसम खुशगवार,

देख-देखकर,सुन -सुनकर,खुद भी तो मुस्काई बयार |


गुड़िया भी खुश होकर खेले ,भैया भी तो झूला झूले ,

पौधों की पत्तियाँ जब हिलतीं ,फूलों की मुस्कानें झूलें | 


जब बयार बन जाए पवन ,मम्मी का उड़ जाए दुपट्टा ,

गुड़िया ,भैया भागे जाएँ ,तितलियों को पकड़ ना पाएँ |


होती जाए तेज पवन ,बादल आए उड़ -उड़कर ,

सूरज छिपा बादलों में ,बूँदें झरने लगी झर -झर |


पवन ने अब तेजी पकड़ी ,बदरा भी घनघोर हुए ,

तेजी से वर्षा है आई ,अंधकार फैला है भाई |


सभी छिप गए घर में अपने ,जीव -जंतु, बच्चे जितने ,

कोई नहीं है बाहर अब ,झाँक रहे हैं बाहर सब |


खिड़की भी ना खुले अभी ,वर्षा हो चली मूसलाधार ,

हवा तेज आँधी के जैसी ,कहाँ से आई हवा ये ऐसी ?


पेड़ भी अब तो डोले हैं ,लगता जैसे नहीं हैं बस में ,

हवा ने उनको पस्त किया ,मानो उन्हें परास्त किया |


हवा का ये कैसा है रूप?छिप गई जिसके कारण धूप,

बदरा आए ,वर्षा आई ,हवा ने बदला मौसम का स्वरूप |


हवा के तो हैं अनेकों रंग ,चलते जाते जो संग -संग ,

शांत हो तो है नाम बयार ,ऐसे चलती जैसे तरंग |


हो तेज तो आँधी ,तूफ़ान ,टूटें पेड़ ,उड़ें सामान ,

पर यही हवा जरूरी है ,साँसों का है ये सामान |

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