Sunday, November 22, 2020

CHANDA -- 1 ( PAIDAL -PAIDAL )

 चंदा -- 1 (  पैदल - पैदल )  भाग - 28 

 

चाँद घूमे पूरी रात ,पैदल - पैदल ,

थक जाता है क्योंकि चले रात भर ,पैदल - पैदल ,

तपस्या वो करता रात भर ,पैदल - पैदल | 

 

माँ से कहा तो बाजार गए ,पैदल - पैदल ,

खाली था बाजार भी ,नहीं मिली नई साईकिल ,

चलने लगे दोनों वापस ,पैदल - पैदल | 

 

ऊँची दुकान फीके पकवान के बीच से ,

किसी ने पुकारा जोर से ,पलटे दोनों ,

देखा दुकानदार आ रहा था ,पैदल - पैदल | 

 

एक पुरानी साईकिल है ,क्या लोगे तुम ? 

चाँद बोल पड़ा एकदम ,हाँ -हाँ ,हाँ - हाँ ,

क्या दाम देना पड़ेगा जरा बताओ ? 

कुछ नहीं ,कुछ नहीं ,तुम वापस तो आओ | 

 

नहीं चाहिए मुझको पैसे ,तुम साईकिल ले जाओ ,

मिली साईकिल ,थी पुरानी ,मगर अच्छी ,

लेकर चले दोनों ,माँ को था पीछे बिठलाया ,

नहीं अब चलना पड़ा दोनों को ,पैदल - पैदल | 

 

रात हुई चाँद ने उठाई साईकिल ,

चला चाँद दुनिया की सैर को ,

मुस्कुराता चाँद अब ना चला ,पैदल -पैदल | 

 

एक छोटी सी ,भोली सी लड़की ,

देख चाँद को मुस्कायी ,माँ से बोली ,

देखो माँ चाँद है साईकिल पे सवार ,

नहीं आज चलता है वो पैदल - पैदल | 

 

चाँद भी मुस्काता बोला ,अब ना चलूँगा पैदल -पैदल ,

अब तो दौड़ लगाऊँगा मैं ,मार के पैडल -पैडल |

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