चंदा -- 1 ( पैदल - पैदल ) भाग - 28
चाँद घूमे पूरी रात ,पैदल - पैदल ,
थक जाता है क्योंकि चले रात भर ,पैदल - पैदल ,
तपस्या वो करता रात भर ,पैदल - पैदल |
माँ से कहा तो बाजार गए ,पैदल - पैदल ,
खाली था बाजार भी ,नहीं मिली नई साईकिल ,
चलने लगे दोनों वापस ,पैदल - पैदल |
ऊँची दुकान फीके पकवान के बीच से ,
किसी ने पुकारा जोर से ,पलटे दोनों ,
देखा दुकानदार आ रहा था ,पैदल - पैदल |
एक पुरानी साईकिल है ,क्या लोगे तुम ?
चाँद बोल पड़ा एकदम ,हाँ -हाँ ,हाँ - हाँ ,
क्या दाम देना पड़ेगा जरा बताओ ?
कुछ नहीं ,कुछ नहीं ,तुम वापस तो आओ |
नहीं चाहिए मुझको पैसे ,तुम साईकिल ले जाओ ,
मिली साईकिल ,थी पुरानी ,मगर अच्छी ,
लेकर चले दोनों ,माँ को था पीछे बिठलाया ,
नहीं अब चलना पड़ा दोनों को ,पैदल - पैदल |
रात हुई चाँद ने उठाई साईकिल ,
चला चाँद दुनिया की सैर को ,
मुस्कुराता चाँद अब ना चला ,पैदल -पैदल |
एक छोटी सी ,भोली सी लड़की ,
देख चाँद को मुस्कायी ,माँ से बोली ,
देखो माँ चाँद है साईकिल पे सवार ,
नहीं आज चलता है वो पैदल - पैदल |
चाँद भी मुस्काता बोला ,अब ना चलूँगा पैदल -पैदल ,
अब तो दौड़ लगाऊँगा मैं ,मार के पैडल -पैडल |
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