Wednesday, November 4, 2020

DARPAN ME BACHPAN KAHAN ( GEET )

   दर्पण में बचपन कहाँ ?


दर्पण तो है आज बताता ,कैसे बताए कल की बात ?

आज दिखेगा दर्पण में ,छोड़ो कल की कल पर बात |


बचपन की गलियाँ छूट गईं,जिंदगी चल दी आगे-आगे,

वो गलियाँ अब देखें कैसे?बँधे जहाँ बचपन के धागे |


कुछ सखियाँ हैं साथ अभी ,कुछ को ढूँढे नयन मेरे ,

इतनी बड़ी दुनिया है बँधु ,उम्मीद बड़ी है मन में मेरे |


रुकता नहीं किसी का बचपन,उम्र तो आगे बढ़ती जाती,

तभी तो बँधु सफर में आगे ,बचपन की यादें हैं आतीं |


जीते हैं अब अपना बचपन ,बच्चों के संग खेल नए ,

उन्हीं की हँसी में हँसते हम ,उन्हीं में पाते बोल नए |


पकड़ नहीं पाते हैं हम ,बचपन को इन हाथों में ,

बस बचपन के खेल ही तो ,बच्चों को सिखाते जाते हैं |

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