तेरी सूरजमुखी
सूरज का उदय नील गगन में ,
जब होता है तो किरणें उसकी ,
फ़ैल गगन में लेतीं हैं चुस्की ,
खिलने लगती है सूरजमुखी |
रंग बदलता है गगना का ,
ख़ुशी वो जाहिर करता है ,
तभी धरा पर खिलते - खिलते ,
मुस्काती है सुंदर सूरजमुखी |
सूरज के संग -संग उसी दिशा में ,
घूमती रहती सूरजमुखी ,
पूरा दिन सूरज को देख - देख ,
खिल जाती पूरी सूरजमुखी |
सूरज के प्यार में डूब के ,
देख उसे संभलती हुई ,
अदृश्य डोर से बँधी हुई ,
घूमती रहती सूरजमुखी |
मानो गुनगुना रही हो ,
"तू सूरज मैं सूरजमुखी हूँ पिया ,
ना देखूँ तुझे तो खिले ना जिया |"
"तू सूरज मैं सूरजमुखी हूँ पिया ,
ना देखूँ तुझे तो खिले ना जिया |"
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