Sunday, November 1, 2020

CHANDA ----- 1 ( PATR CHANDA KA )

 चंदा   ----  1   (  पत्र चंदा  का  )   

 

कल चंदा ने भेजा है खत ,लिखा है उसने मेरे नाम ,

लिखा है उसमें यारों ,सब घर वालों को परनाम | 

 

बहुत दिनों से मिले नहीं हम ,मैं भी घर में ,तुम भी ,

बदरा मुझे छिपा लेते हैं ,तुम हो द्वार के अंदर में | 

 

मेरे करोड़ों ,अरबों बच्चे ,नन्हें से तारे शैतान ,

अगर आऊँगा तुमसे मिलने,मचा ही देंगे वो तूफ़ान | 

 

तुम्हें भी तो पाबंदियाँ हैं ,मैं भी घर में कैद सखि ,

कैसे निकालूँ मैं बाहर ,डर की है दीवार खड़ी | 

 

वायरस बहुत ही छोटा है ,मगर है वो घना ही घातक ,

तारा एक बीमार हुआ तो ,मच जाएगा फिर आतंक | 

 

सृष्टि का क्या हाल ही होगा ? कौन इलाज करेगा फिर ? 

एक अकेला रखवाला हूँ ,कौन साथ देगा मेरा फिर ? 

 

सूरज तो है ताप भरा ,मैं ठंडा हूँ शीतल सा ,

सूरज के साथी भी तगड़े ,मैं तो बड़ा ,कभी छोटा सा | 

 

ठीक  चंदा घर में रहना ,सारे नियम निभाओ तुम ,

जब सब ठीक हो जाएगा ,तब मेरे घर आओ तुम | 

 

पत्र सदा लिखते रहना ,हाल चाल बतलाओ तुम ,

मेरी चिंता नहीं तुम करना ,प्यार मेरा सब पाओ तुम | 



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