चंदा ---- 1 ( पत्र चंदा का )
कल चंदा ने भेजा है खत ,लिखा है उसने मेरे नाम ,
लिखा है उसमें यारों ,सब घर वालों को परनाम |
बहुत दिनों से मिले नहीं हम ,मैं भी घर में ,तुम भी ,
बदरा मुझे छिपा लेते हैं ,तुम हो द्वार के अंदर में |
मेरे करोड़ों ,अरबों बच्चे ,नन्हें से तारे शैतान ,
अगर आऊँगा तुमसे मिलने,मचा ही देंगे वो तूफ़ान |
तुम्हें भी तो पाबंदियाँ हैं ,मैं भी घर में कैद सखि ,
कैसे निकालूँ मैं बाहर ,डर की है दीवार खड़ी |
वायरस बहुत ही छोटा है ,मगर है वो घना ही घातक ,
तारा एक बीमार हुआ तो ,मच जाएगा फिर आतंक |
सृष्टि का क्या हाल ही होगा ? कौन इलाज करेगा फिर ?
एक अकेला रखवाला हूँ ,कौन साथ देगा मेरा फिर ?
सूरज तो है ताप भरा ,मैं ठंडा हूँ शीतल सा ,
सूरज के साथी भी तगड़े ,मैं तो बड़ा ,कभी छोटा सा |
ठीक चंदा घर में रहना ,सारे नियम निभाओ तुम ,
जब सब ठीक हो जाएगा ,तब मेरे घर आओ तुम |
पत्र सदा लिखते रहना ,हाल चाल बतलाओ तुम ,
मेरी चिंता नहीं तुम करना ,प्यार मेरा सब पाओ तुम |
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