Friday, December 11, 2020

DHADAKANE DE (PREM )

                    धड़कने  दे 

 

जुल्फों को हटाले चेहरे से ,थोड़ा सा चांदना होने दे ,

हम मिलने आए हैं तुझसे,एक चाय का सिप तो होने दे | 

 

 जुल्फों के अँधेरे में तुझको ,कैसे हम देख पाएँगे ?

बिना देखे तुझको हम,कैसे बातें कर पाएँगे ?

थोड़ा सा उजाला हो जाए ,तो गप्पों का संगीत बहने दे | 

 

लंबी काली जुल्फों के घनेरे ,अंधकार की छाँव में ,

हम तुम बैठेंगे साजन ,पीपल की गहरी छाँव में ,

बातों के छनकते झुरमुट में,छन छन की धुन तो बजने दे|

 

बैठे बैठे हम करेंगे बातें ,सपनों की सुन्दर दुनिया की ,

भूल जाएँगे हम ये दुनिया,और परंपराएं इस दुनिया की,

बातों के उन सपनों में ,प्यार की बीना बजने दे | 

 

मुलाकात तो रोज़ ना होती ,रोज ना सजतीं हैं महफ़िल ,

रोज ना गुल खिलते चँहु ओर,रोज ना धड़के जोर से दिल, 

आज तो मुलाकाती के ,दिल को जरा धड़कने दे | 

 

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