धड़कने दे
जुल्फों को हटाले चेहरे से ,थोड़ा सा चांदना होने दे ,
हम मिलने आए हैं तुझसे,एक चाय का सिप तो होने दे |
जुल्फों के अँधेरे में तुझको ,कैसे हम देख पाएँगे ?
बिना देखे तुझको हम,कैसे बातें कर पाएँगे ?
थोड़ा सा उजाला हो जाए ,तो गप्पों का संगीत बहने दे |
लंबी काली जुल्फों के घनेरे ,अंधकार की छाँव में ,
हम तुम बैठेंगे साजन ,पीपल की गहरी छाँव में ,
बातों के छनकते झुरमुट में,छन छन की धुन तो बजने दे|
बैठे बैठे हम करेंगे बातें ,सपनों की सुन्दर दुनिया की ,
भूल जाएँगे हम ये दुनिया,और परंपराएं इस दुनिया की,
बातों के उन सपनों में ,प्यार की बीना बजने दे |
मुलाकात तो रोज़ ना होती ,रोज ना सजतीं हैं महफ़िल ,
रोज ना गुल खिलते चँहु ओर,रोज ना धड़के जोर से दिल,
आज तो मुलाकाती के ,दिल को जरा धड़कने दे |
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