Friday, December 4, 2020

MEGHA RE ( RANI PARI )

   

( रानी  परी  )  

 

पंख नहीं हैं मेरे ,कैसे उड़ आऊँ मैं ? 

तू मुझे बुलाए बेशक ,पर उड़ ना पाऊँ मैं | 

 

उधार के पंख तो ,पंछी से ले ना सकूँ मैं ,

कोई भी अपने पंख ,कैसे देगा भला ? 

मोल तो उन पंखों का ,चुका ना पाऊँ मैं | 

 

बिन पंख भी कोई उड़ता ,बस बदरा ही हैं ऐसे ,

बदरा तो उड़ते गगन में ,पंख नहीं हैं उनके ,

बिन पंखों के उनके जैसा ,कैसे उड़ पाऊँ मैं ? 

 

पवन सखि है मेरी ,उसकी भी मजबूरी ,

ना पंख हैं उसके पास ,ना है उसको कोई आस ,

कैसे उड़ाए वो मुझको ,जबकि पंख ना उसके पास ,

ना मैं हूँ कोई तिनका ,जो पवन से उड़ जाऊँ मैं | 

 

पंख अगर होते मेरे ,उड़ जाती मैं बदरा के पार ,

गगना में उड़ती रहती ,दिख जाती दुनिया अपार ,

दिलवा दे मुझको कोई ,दो दिन को पंख उधार ,

तो दो दिन के लिए ही सही ,रानी परी बन जाऊँ मैं | 

 

 

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