Saturday, December 12, 2020

DHADAKTA DIL ( PREM )

 

धड़कता  दिल

 

आजकल खत नहीं लिखता कोई ,

खाली हैं सारे लैटर - बॉक्स शहर में ,

मोबाईल से एस . एम . एस . जाते हैं ,

मिनटों में आ जाता है जवाब उनका |


खतों का  एक जमाना था यारों ,

राह तकते थे हम उनके खत की ,

शब्दों में भाव दिखते थे उनके ,

शब्दों में दिल धड़कता था उनका |


आज राहें भी जैसे सूनीं हैं ,

नयन उनपे ना बिछे हैं कोई ,

डाकिया भी कोई नहीं आता है ,

लाता नहीं है कोई खत उनका | 


कितनी खुश्बुएँ हवा में उड़ती थीं ?

कितनी संगीत भरी धुन हवा में उड़ती थीं ? 

मुस्कराहट लबों पर यूँ बिखर जाती थीं ,

जब भी लाता था कोई खत उनका |


हम कैसे जवाब लिखें उनको ?

शब्द जब सामने नहीं हमारे हैं ,

लेखनी सो गई है अब यारों ,

कागज़ भी लगता है कुँवारे हैं |


कोई जाए उन्हें ये समझाए ,

कोई तो उनसे खत भी लिखवाए ,

कभी तो वो भी हमको बतलाएँ ,

कितनी जोर से धड़कता है दिल उनका ?  


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