धड़कता दिल
आजकल खत नहीं लिखता कोई ,
खाली हैं सारे लैटर - बॉक्स शहर में ,
मोबाईल से एस . एम . एस . जाते हैं ,
मिनटों में आ जाता है जवाब उनका |
खतों का एक जमाना था यारों ,
राह तकते थे हम उनके खत की ,
शब्दों में भाव दिखते थे उनके ,
शब्दों में दिल धड़कता था उनका |
आज राहें भी जैसे सूनीं हैं ,
नयन उनपे ना बिछे हैं कोई ,
डाकिया भी कोई नहीं आता है ,
लाता नहीं है कोई खत उनका |
कितनी खुश्बुएँ हवा में उड़ती थीं ?
कितनी संगीत भरी धुन हवा में उड़ती थीं ?
मुस्कराहट लबों पर यूँ बिखर जाती थीं ,
जब भी लाता था कोई खत उनका |
हम कैसे जवाब लिखें उनको ?
शब्द जब सामने नहीं हमारे हैं ,
लेखनी सो गई है अब यारों ,
कागज़ भी लगता है कुँवारे हैं |
कोई जाए उन्हें ये समझाए ,
कोई तो उनसे खत भी लिखवाए ,
कभी तो वो भी हमको बतलाएँ ,
कितनी जोर से धड़कता है दिल उनका ?
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