पत्र देश की महिला का
नमन सरहद के वीरों को ,
तीन रिश्ते पहुँचे हमारे ,सरहद की रक्षा करने हेतु ,
देश की रक्षा हेतु |
पहला दोस्त पति अपना ,दूसरा है बेटा अपना ,
तीसरा है भाई अपना ,देश की रक्षा हेतु |
दोस्त पति के साथ जीवन बीत रहा ,
बेटे ने माँ होने के अर्थ बताए ,
भाई के संग बचपन से खेले हम तो ,
गए सभी सरहद पर ,देश की रक्षा हेतु |
प्यार किया दोस्त पति से ,आशीष दिया बेटे को ,
राखी बाँधी भाई को हमने ,देश की रक्षा हेतु |
प्यार करेगा रक्षा पति की ,आशीष फलेगा बेटे को ,
राखी रक्षा करे भाई की ,देश की रक्षा हेतु |
विजय श्री पाओ तुम तीनों ,नहीं पीठ दिखलाना ,
यही कामना है मेरी ,सरहद पर डट जाओ तुम ,
देश की रक्षा हेतु |
आओगे जब वीरों तुम ,विजय श्री को पाकर ,
मैं ही क्या ये पूरा देश ,उतरेगा आरती हाथ जोड़कर ,
देश की रक्षा हेतु |
जय जवान ,जय भारत |
देश की महिला ,
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