लड़ाई फूलों की
एक बार हो गई लड़ाई ,फूलों के बीच में ,
सबके सब थे मस्त ,बड़ाई अपनी करने में ,
गेंदा बोला ,मैं हूँ सुंदर ,और हूँ मजबूत ,
कई दिन तक लगातार ,खिला रहता हूँ मैं |
सूरजमुखी ने आकर बीच में ,काटी उसकी बात ,
बोली ,मैं हूँ सूरज की प्यारी ,तुमसे भी मजबूत ,
उपयोगी हूँ मानव को देती ,तेल ,बीज और सजावट |
कोमल सी चमेली ने ,सूरजमुखी को रोका ,
रंग - बिरंगी मैं नहीं ,मगर दूध सा सफ़ेद मेरा रंग ,
मेरी खुश्बू और कोमलता ,सभी को है भाती ,
मेरा तेल तो खुश्बू वाला ,हरेक हसीना है लगाती |
आगे बढ़ा गुलाब ,भई लाल - लाल गुलाब ,
सुंदरता तुम मेरी देखो ,खुश्बू से मेरी महको ,
मेरे फूलों से बना गुलकंद ,और बना गुलाब जल ,
लगा कर तुम महको ,और खाकरमजा तुम लूटो |
तभी तितलियाँ आकर बोलीं , क्यों आपस में लड़ते हो ?
सब मिल - जुल कर रहो चमन में ,सबके गुण हैं बढ़ते ,
हम तितलियाँ उड़ - उड़कर ही तो ,सुंदरता उत्पन्न करतीं ,
सुनकर सारे फूलों की लड़ाई बंद ,और दोस्ती हो गई ,
मानव तुम भी सीखो और ,दोस्ती बढ़ाओ ,दोस्ती बढ़ाओ |